मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकं |
कलाधरावतंसकं विलासिलोक रक्षकम् |
अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकं |
नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम् ‖ 1 ‖
नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरं |
नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्ढरम् |
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं |
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ‖ 2 ‖
समस्त लोक शङ्करं निरस्त दैत्य कुञ्जरं |
दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम् |
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं |
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ‖ 3 ‖
अकिञ्चनार्ति मार्जनं चिरन्तनोक्ति भाजनं |
पुरारि पूर्व नन्दनं सुरारि गर्व चर्वणम् |
प्रपञ्च नाश भीषणं धनञ्जयादि भूषणं |
कपोल दानवारणं भजे पुराण वारणम् ‖ 4 ‖
नितान्त कान्ति दन्त कान्ति मन्त कान्ति कात्मजम् |
अचिन्त्य रूपमन्त हीन मन्तराय कृन्तनम् |
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां |
तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् ‖ 5 ‖
महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं |
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् |
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां |
समाहितायु रष्टभूति मभ्युपैति सोऽचिरात् ‖